Lyrics
जहाँ तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे
हँसे तो दो गालों में भँवर पड़ा करते थे
जहाँ तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे
हँसे तो दो गालों में भँवर पड़ा करते थे
तेरी कमर के बल पे नदी मुड़ा करती थी
हँसी तेरी सुन-सुन के फ़सल पका करती थी
छोड़ आए हम वो गलियाँ
छोड़ आए हम वो गलियाँ
जहाँ तेरी एड़ी से धूप उड़ा करती थी
सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती है
जहाँ तेरी एड़ी से धूप उड़ा करती थी
सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती है
लटों से उलझी-लिपटी एक रात हुआ करती थी
कभी-कभी तकिए पे वो भी मिला करती है
छोड़ आए हम वो गलियाँ
छोड़ आए हम वो गलियाँ
दिल दर्द का टुकड़ा है, पत्थर की डली सी है
एक अंधा कुआँ है या एक बंद गली सी है?
एक छोटा सा लमहा है
जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ, ये भस्म नहीं होता
ये भस्म नहीं होता
छोड़ आए हम वो गलियाँ
छोड़ आए हम वो गलियाँ
छोड़ आए हम वो गलियाँ
छोड़ आए हम वो गलियाँ